पर यूँ तुम मेरी हस्ती को ही न मिटाओ,
जलते-जलते राख हो गये है हम
तुम मेरी खाक को यूँ न बिखराओ,
रास्ते का पत्थर बना दिया किस्मत ने
पर तुम तो न बार-बार ठोकर लगाओ,
वक्त ने हर बार इम्तिहान लिया मेरा
तुम मुझे यूँ न हर रोज आजमाओ,
तुझसे दूर हो जायेंगे खुदबखुद हम
दुनिया से उठ जाये ऐसे हालात न बनाओ,
एक बार अपना दामन दे-दे मेरे आंसुओ को
रोज-रोज तुम मुझे खून के आंसू न रुलाओ,
गिरते-लड़खड़ाते ही जिन्दगी बीती अपनी
संवर न सकें कभी यूँ अपनी नजरो से न गिराओ,
नही मिलते हो कोई बात नही सुकून है अब भी
पर प्यारे तुम मेरे ख्वाबों से कभी दूर ना जाओ ,,
ताउम्र साथ न चल सके हम-तुम तकदीर है
दो कदम ही हंसके साथ चल जाओ...
No comments:
Post a Comment